Thursday, March 14, 2013

यकीन ...


तुम्हारी बातें हँसाती है मुझे,
बेहलाती है, सताती है,
और रुलाती भी है,
कभी कभी ।

तुम्हारी यादें तड़पाती है मुझे ,
सेहलाती है,बेहकाती है,
और फुसलाती भी है,
कभी कभी ।

ये दिन  ये रातें ,
वो धुप से छाओं की मुलाकातें ,
याद दिलाती है तुम्हारी
कभी कभी।

ये आँखें ये सपने
ना पराएँ है, पर अपने
कुबूल होगी हमारी दुआ ,
ये यकीन हुआ है,
बस अभी अभी। ♥

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