Thursday, October 6, 2011

आज दिल नाराज है...

आज दिल नाराज है...
कुछ कहना चाहता है...
पर डर रहा है शायद...
डर रहा है फिर उन जज्बातों को लेकर...
डर रहा है, कही फिर ना कमजोर पड़ जाये...
डर रहा है कही फिर आँखें ना नम हो जाये...
याद  कर रहा है दिल उन बीती बातों को...
जो तुम कह कर चल दिए...
याद आ रही है वो सारी यादें...
जो तुमने दी और खुद भूल भी गए...
सुनाई दे रही है वो सारी आवाजें...
जिन्हें दिल चाहकर भी भुला नहीं सकता...
महसूस हो रहे है वो सरे दिन वो सारी यादें...
जिन्हें दिल ठुकरा नहीं सकता...
रो तो मेरा दिल रहा है...
पर बदनाम आँखें हो रही है...

आज दिल फिर नाराज था...
फिर कुछ कहना चाहता था...
पर फिर से रात आकर जा रही है...
दिल फिर कुछ ना कहते हुए रो रहा है...
सिलसिला ये चलेगा ना जाने कब तक...
ना जाने कब तक दिल नाराज रहेगा...
ना जाने कब तक कुछ कहना चाहेगा...
ना जाने कब तक...

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